Thursday 4 July 2013

नारी को अपना आत्मसम्मान बचाना है तो अब हाथ उठाना सीख लेना चाहिए .....


आज डांस  की लगातार प्रेक्टिस  से देह को बहुत थकान हो रही है . इसलिए  

कविता लिखने का मूड तो नहीं रहा,  फिर भी  आपकी सेवा में कुछ  तो रखूं .  

इस जज़्बे के साथ  यहाँ आई हूँ  और एक टिप्पणी की थी आज किसी ब्लॉग 

पर, वही यहाँ  पोस्ट कर रही हूँ


सोशल साइट्स ही क्या, आज तो हालत इतनी बदतर होगई है कि  घरेलु 

महिलायें घर में  और कामकाजी महिलाएं अपने ऑफिस में भी महफूज़ नहीं हैं . 

लोग केवल मज़ा लेने के लिए  हमारा मखौल उड़ाते हैं ..ये किसी एक महिला का 

नहीं, वरन  पूरे स्त्री समुदाय का  अपमान और अपरोक्ष शोषण है .लेकिन इसके 

विरुद्ध  कोई कार्रवाही  सरकार कर पाएगी,  इसका भरोसा  मुझे तो नहीं, मेरे 

ख्याल में तो अब नारी को ही डंडा उठाना  पड़ेगा ........


मैं तो इस मामले में सजग रहती हूँ . एक का चार सुनाती हूँ   और ऐसा सुनाती हूँ  

कि  दोबारा किसी की हिम्मत नहीं होती मुझे छेड़ने की ...........अगर ठीक से याद 

करूँ तो अब तक कम से कम दस की तो पिटाई कर चुकी हूँ . आप भी ये  कर के 

देखिये, परिणाम  अच्छा आएगा . यहाँ कलम चला कर  कुछ होने वाला नहीं,  

हाथ चलाना  सीखो ...........


क्षमा करना .कुछ बुरा लगे तो मैं अपने शब्द वापिस ले लेती हूँ 

रोज़ी

No comments:

Post a Comment

rosy welcomes you